KIYA SEETA KA HI PAAP HAI KYA AAJ KA RAAM SAAF HAI
कौन हैँ बो क्यों नजरें हमसे चुरा रहे हो
ये झूंटी कहानी हमें क्यों सुना रहे हो?
क्या हमसे दिल भर गया हैँ ?
हमसे आपका का कुछ बिगड़ गया हैँ ?
तो फिर फिर क्यों नाराज हो ?
क्यों किसी अजनबी के इतना पास हो ?
क्या हम तकलीफ देते हैँ?
बताओ तो सही क्या गलत कहते हैँ ?
तो फिर क्यों नही हमें समझा रहे हो हो ?
बजह आखिर क्या हैँ हमारे बीच तीसरे क्यों नही बता रहे हो ?
अब ख़ामोशी तोड़ भी लो क्यों सितम ढा रहे हो ?
कौन हैँ बो आखिर क्यों हमसे नजरें चुरा रहे हो ?
तो फिर तुम्हारे हाथ मे उसका हाथ कैसे हैँ
कोई इतना हमसे खाश कैसे हैँ ?
क्या हमसे दामन छुड़ा रहे हो ?
बताओ कहा तक साथ जा रहे हो ?
क्या अब हमसे भी मुंह छुपाने की जरूरत हैँ ?
बेबफा तू खुदा नही तू सिर्फ एक पथ्थर की मूरत हैँ ?
पर मैं तो मोहब्बत को खुदा मान रहा था ?
लोग आस्तीन के साँप से डरते हैँ देखो मैं नागिन आस्तीन मे पाल रहा था ?
बताओ तो सही ये चेहरे पे किसका नूर हैँ ?
ये हमारे बीच पति पत्नी और बो वाला रिश्ता क्या तुम्हे भी मंजूर हैँ ?
तो फिर क्यों देर रात तक जागते हो ?
क्या हमसे दूर भाग ना चाहते हो ?
ये कैसा आज इरादा हैँ ?
क्या किया रक़ीब से कोई वादा हैँ ?
क्या किसी के लिए बेचैन रहते हो?
बताओ क्यों हमारे साथ मर मर के जीते हो ?
क्या हम तुम्हारे रास्ते का रोड़ा हैँ ?
ज़रा बताने की तकलीफ कीजिये हमारी किस बात ने दिल तोड़ा हैँ ?
तो किया सच मे हमें छोड़ कर जा रहे हो?
फिरर फिरर क्यों हमसे नजरें चुरा रहे हो ?
क्या हमारी मौजदगीअब खल रही ?
तो फिर क्यों हमारी जान किसी से तंहाई मे चल रही हैँ ?
बो तन्हाई नही थी उसे बाजार कहा जाता हैँ?
ऐ जान इतना भी ना किसी को खाता कार कहा जाता हैँ ?
हम भी लबे ख़ामोशी को तोड़ना चाहते हैँ ?
और शायद किससे सुने हैँ गैरों से आओ बो बाजार वाली पूरी कहानी बताते हैँ ?
हा किसी के साथ कदम से कदम मिला कर चल रहे थे ?
और हा बो तन्हाई नही इत्तेफ़ाक़ था जब हम मिल रहे थे?
बो भी हमारा अपना हैँ ना समझो रक़ीब था ?
आज गिर गया हैँ तू नजरो से इतना जितना कभी दिल के करीब था ?
क्यों सीता ही दे हर बार अग्नि परीक्षा किया सीता का ही पाप?
और बुराई का प्रतीक कह कहकर हर साल रावण जलाया जाता हैँ किया आज का राम इतना साफ हैँ?
Kahna sunna
Sawal @R.J@jawab
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