Pyaar ke phool
खामोशियाँ इख़्तियार कर ली हमने उसके खिलाफ लब कभी खुले नही? और ऐसे बिछड़े थे उस हिजर की रात दोबारा मिले नही ? कुछ इस तरह गया था बो दिले गुलिसता उजाड़ कर ? बंजर हैँ आज भी बो ज़मीन किसी और के प्यार के फूल बहा खिले नही ? #Raamjaane# Shayri. Ki. Pathshala 💘💘💘